सफलता कैसे प्राप्त करें ?

दोस्तों! सफलता किसे प्यारी नहीं होती ? परन्तु क्या सभी लोग सफलता प्राप्त कर पाते है ? जी नहीं...तो आखिर सफलता का मूलमंत्र क्या है ? वह है....स्व अनुशासन क्योंकि सफलता का जन्म हमारे स्वयं के अनुशासन से होता है और इसे प्राप्त करने के लिए इसमें रमना पड़ता है| अतः सफलता की दौड़ में विजेता बनने के लिए हमारा स्वयं का अनुशासित होना अति आवश्यक है| 

कुछ लोग दूसरों को मिटाकर, दूसरों को नुकसान पहुँचाकर, दूसरों को दर्द देकर बड़े बनने का स्वप्न देखते है उनका असफल होना तो तय है लेकिन इसके कारण उन लोगों को थोड़ी तकलीफ उठानी जो सच्चाई, ईमानदारी और न्याय के पक्षधर होते है| लेकिन यह तो कहा ही गया कि यदि अच्छे रास्ते पर चला जाए तो देर- सबेर परिणाम अच्छा ही होता है| 

वास्तव में अगर देखा जाए तो सफलता भी इतनी आसानी से नहीं मिलती| सफल होने की दौड़ में हम न जाने कितनी बार गिरते हैं लेकिन हमे गिरने की चिंता नहीं करनी चाहिए अपितु कोशिश यह करनी चाहिए कि जितनी बार भी गिरे, उतनी बार उठ सकें| 
कुछ लोग इन छोटी-छोटी असफलताओं को अपना प्रारब्ध मान हैं और अपना आत्मविश्वास खो देते हैं|                                                                लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि -
                                  यही जगत की रीत है 
                                  यही जगत कि नीति | 
                                  मन के हारे हार है 
                                  मन के जीते जीत |
अर्थात ''मान लिया तो हार है और ठान लिया तो जीत'' 

अब्राहम लिंकन, महात्मा गाँधी, एडिसन, न्यूटन अदि अनेक चर्चित हस्तियों के उदाहरण हमारे सामने है जिन्होंने जीवन में सैंकड़ो बार हार का सामना किया परन्तु हार कभी नहीं मानी | वे अपने लक्ष्य के प्रति निरंतर प्रयासरत रहे और अंततः इन्होंने इतिहास रच दिया | 

इसप्रकार असफलता की कसौटी पर ही मनुष्य के धैर्य, साहस, लगन और अनुशासन की परख होती है और इसपर स्वर्ण की भांति खरा उतरने वाला व्यक्ति ही वास्तव में सफल होता है |

अंततः मैं प्रसिद्ध कवि हरिवंश रॉय बच्चन जी की इन पंक्तियों द्वारा अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा-
                                      असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो  
                                      क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो
                                      जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम 
                                      संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम 
                                      कुछ किये बिना ही जय-जयकार  नहीं होती 
                                      कोशिश करनें वालों की कभी होती |

द्वारा-
अम्बुज उपाध्याय 

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