हिन्दी है हिन्द की धड़कन


हिंदी मात्र एक भाषा नही है, हमारी मातृभाषा भी है परंतु आज की स्थिति यह है कि हम हिन्दी बोलने मे लज्जा महसूस कर रहे है|
लोग कहते है कि "हम आजाद हो गये, अरे! अंग्रेजो से  छूटे तो अंग्रेज़ी के गुलाम हो गये|"
आजादी के 70 साल बाद भी हम मानसिक रूप से गुलामी के जंजीर मे जकड़े हुए है पर हम भूल रहे है कि

 "जन-जन की भाषा है हिन्दी,
   भारत की आशा है हिन्दी,
   जिसने पूरे देश को जोड़े रखा,
   वह मजबूत धागा है हिन्दी|"

अतः
"हिंदी का करे सम्मान
  है यह प्रेम का दूजा नाम,
  हर देश का सम्मान है मातृभाषा
  गर्व से कहो है हमारी हिन्दी भाषा।"

क्योंकि जब तक हम अपने हिन्द की धरोहर अर्थात्  हमारी मातृभाषा हिंदी का सम्मान नही करेंगे तब तक हम इसे पूरे विश्व मे सम्मान नही दिला पायेंगे।

जय हिंद!

द्वारा:-
अम्बुज उपाध्याय 

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